Dattatreya Tantra
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About Course
आदिगुरू, अवधूत-शिरोमणि, परम सिद्ध, महायोगी
भगवान दत्तात्रेय – विरचित
तंत्रशास्त्र का अद्भुत ज्ञान
ग्रंथ परिचय
भारतीय तंत्र शास्त्रों की की श्रृंखला में छोटे-बड़े अनेक तंत्र ग्रंथ मुद्रित हुए है। उनमें ‘दत्तात्रेय तंत्र’ भी सर्वमान्य ग्रंथ है। यह ग्रंथ भगवद् अवतार, महायोगी, कालजयी, त्रिदेव रूप तथा परम सिद्ध श्री दत्तात्रेय द्वारा तंत्र शास्त्र के परम आचार्य भगवान शंकर से प्रार्थना करके विशेष कलयुग में सिद्ध तंत्र विद्या विधान के रूप में प्राप्त किया गया है।
28 पैटरनों में निर्मित यह तंत्र ग्रंथ उत्कीलन तथा आदि विघ्नों की अपेक्षा रखें बिना ही सर्व दोषों से रहित शीघ्र सिद्धि देने वाला बतलाया गया है। भगवान शंकर ने अपने परम भक्त श्री दत्तात्रेय के लिए अत्यंत गुप्त होते हुए भी इसको प्रकट किया है। इसमें परम गोपनीय विषयों को संकलित किया गया है, जिम क्रमशः
- मारण
- मोहन
- स्तंभन
- विद्वेषण
- उच्चाटन
- वशीकरण
- आकर्षण
- इंद्रजाल
- यक्षिणी साधना
- रसायन प्रयोग
- काल ज्ञान
- अनाहर
- साहार
- भूमिगत
- मृतवत्सा, बाँझपन तथा पुत्र संतति ना होने के देशों का निवारण तथा पुत्र प्राप्ति के उपाय
- जय विवाद युद्ध में तथा जुआ आदि में जीतने के उपाय
- वाजीकरण
- भूत ग्रह निवारण
- सिंह व्याघ्र भय निवारण तथा
- सांप और बिच्छू आदि जहरिले जीवन के भाई से बचने के प्रयोग आदि मंत्र और विधि सहित 28 पटलों में दिए हैं।
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Course Content
अध्याय – 1 परिचय – विभाग (प्रथम खण्ड)
पाठ – 1 तंत्र : उत्पत्ति, परिभाषा और महत्व
पाठ – 2 तंत्र – परम्परा
पाठ – 3 गुरु, शास्त्र एवं परंपरा का ज्ञान आवश्यक
पाठ – 4 तंत्रों की व्यापकता
पाठ – 5 तंत्र–साधना की विविधता
पाठ – 6 एक विडम्बना
पाठ – 7 तंत्र-शास्त्र तथा आगम
पाठ- 8 बीज–मंत्रो की उत्पत्ति
पाठ – 9 तंत्र और वनस्पति–विज्ञान
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