काली महाविद्या दस महाविद्या में प्रथम देवी Kali Mahavidhya

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देवी काली, दस महाविद्या में से प्रथम देवी हैं तथा यह देवी दुर्गा का सर्वाधिक उग्र स्वरूप हैं। माँ काली को काल एवं परिवर्तन की देवी माना जाता है। सृष्टि-निर्माण के पूर्व से ही उनका काल अथवा समय पर आधिपत्य रहा है। देवी काली को भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में दर्शाया गया है। वह श्मशान में निवास करती हैं तथा शस्त्र के रूप में खड्ग एवं त्रिशूल धारण करती हैं।

हमारे प्राचीन धर्म ग्रन्थों में दस महाविद्याओं का उल्लेख है, जिनकी पूजा सभी प्रकार की शक्तियों की प्राप्ति हेतु की जाती है। महाविद्या पूजा को साधना के रूप में जाना जाता है, जिसके अन्तर्गत साधक देवी माँ को प्रसन्न करने एवं उनकी कृपा प्राप्ति हेतु, उनके किसी एक स्वरूप पर ध्यान केन्द्रित करता है। किसी भी साधना में यन्त्र एवं मन्त्र अत्यन्त प्रभावी माध्यम माने जाते हैं, जिनके द्वारा साधक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है तथा साधना के उद्देश्य को पूर्ण कर सकता है।

हिन्दु धर्म में, प्रत्येक देवता हेतु कुछ विशिष्ट यन्त्र एवं मन्त्र निर्धारित होते हैं तथा उनका उपयोग देवता तक पहुँचने के उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु, माध्यम के रूप में किया जाता है। प्रत्येक देवी की उनके यन्त्र के साथ निश्चित प्रक्रिया, चरणों एवं अनुष्ठानों के माध्यम से पूजा की जाती है।

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Course Content

काली महाविद्या

  • काली शब्द की उत्पत्ति और ब्रह्म की क्रिया शक्ति
  • देवी का नाम दक्षिणाकाली क्यों है?
  • चतुर्भुजाकाली नाम से देवी का तात्पर्य
  • कटे हुए हाथ का अर्थ
  • पशु को बलि का अर्थ
  • काली जी के हाथ में कटा हुआ मुंड
  • शिवाबलि क्या है ? 
  • काली जी के चार हाथ
  • अष्टपाश
  • कटा हुआ सिर
  • लंबी लाल जिव्हा
  • देवी का काला रंग
  • देवी का नग्न दिखाया जाना 
  • देवी का श्मशानवासिनि होना 

देवी काली के मन्त्रों की सूचि

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