पुण्याहवाचन कलश पूजन

Categories: Vedic Anushthan
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पुण्याहवाचन और कलश पूजन हिंदू धार्मिक परंपराओं में शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान हैं। ये दोनों ही विधियां किसी भी मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ, उपनयन संस्कार आदि से पहले संपन्न की जाती हैं।

1. पुण्याहवाचन (Punyahavachan) क्या होता है?

पुण्याहवाचन का अर्थ है “पवित्रता की घोषणा”। यह एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें जल (गंगा जल या पवित्र जल) और मंत्रों के माध्यम से वातावरण, स्थान, एवं उपस्थित लोगों को शुद्ध किया जाता है। यह कार्य मुख्य रूप से किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करने से पहले किया जाता है ताकि समस्त दोष समाप्त हो जाएं और कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो सके।

पुण्याहवाचन विधि:

  1. ब्राह्मण द्वारा संकल्प लिया जाता है।

  2. मंत्रों द्वारा जल को अभिमंत्रित किया जाता है।

  3. अभिमंत्रित जल को स्थान, उपस्थित व्यक्तियों और आवश्यक सामग्री पर छिड़का जाता है।

  4. पुण्याहवाचन मंत्रों के साथ शुद्धि और आशीर्वाद दिया जाता है।

2. कलश पूजन (Kalash Pujan) क्या होता है?

कलश पूजन भी एक अत्यंत शुभ अनुष्ठान है, जिसमें एक पात्र (कलश) को देवता या पवित्रता का प्रतीक मानकर उसकी स्थापना और पूजा की जाती है।

कलश पूजन विधि:

  1. एक तांबे, पीतल या मिट्टी के कलश में जल भरा जाता है।

  2. उसमें आम के पत्ते और नारियल रखा जाता है।

  3. कलश पर मौली (कलावा) बांधा जाता है और उसके ऊपर स्वस्तिक बनाया जाता है।

  4. भगवान गणपति, विष्णु, देवी लक्ष्मी या अन्य देवताओं का आह्वान किया जाता है।

  5. वैदिक मंत्रों और फूलों से पूजन कर के कलश की स्थापना की जाती है।

पुण्याहवाचन और कलश पूजन का महत्व:

  • यह अनुष्ठान वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाते हैं।

  • शुभ कार्यों के दौरान आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किए जाते हैं।

  • कलश को जीवन, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है।

किन कार्यों से पहले यह पूजन किया जाता है?

  • विवाह

  • गृह प्रवेश

  • यज्ञ, हवन

  • उपनयन संस्कार

  • किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत

इन अनुष्ठानों को करने से कार्य में दिव्य शक्ति और सकारात्मकता बनी रहती है। 😊🙏

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पुण्याहवाचन कलश पूजन

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