वैदिक गणेश अम्बिका पूजन

About Course
वैदिक गणेश अंबिका पूजन एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान गणेश और माता अंबिका (दुर्गा/पार्वती) की पूजा की जाती है। यह पूजन विशेष रूप से शुभ कार्यों की सफलता, परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है।
वैदिक गणेश अंबिका पूजन का महत्व:
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गणेश पूजन – भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभ कार्यों के प्रारंभकर्ता माना जाता है। वे बुद्धि, समृद्धि और सुख-शांति के दाता हैं।
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अंबिका पूजन – माता अंबिका, देवी पार्वती का ही एक रूप हैं, जो शक्ति, करुणा और रक्षा की देवी मानी जाती हैं। वे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाती हैं।
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ग्रह दोष शांति – यह पूजन विशेष रूप से अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने और जीवन में शांति बनाए रखने के लिए किया जाता है।
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संतान सुख – यह पूजन संतान प्राप्ति और संतान की रक्षा के लिए भी किया जाता है।
पूजन विधि:
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संकल्प – पूजन से पहले संकल्प लिया जाता है, जिसमें पूजा करने वाले व्यक्ति का नाम, गोत्र और उद्देश्य बताया जाता है।
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गणेश पूजन – भगवान गणेश की स्थापना करके, पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है।
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अंबिका पूजन – देवी अंबिका की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर, मंत्रोच्चारण के साथ उनकी पूजा की जाती है।
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हवन – विशेष मंत्रों के साथ अग्निहोत्र (हवन) किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
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प्रसाद वितरण – पूजा के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।
उपयुक्त अवसर:
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विवाह, गृह प्रवेश, नवरात्रि, गणेश चतुर्थी, संतान प्राप्ति हेतु, ग्रह दोष निवारण आदि के लिए यह पूजन किया जाता है।
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विशेष रूप से यह उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जिनके जीवन में बार-बार बाधाएँ आ रही हों।
अगर आप इस पूजन को करवाना चाहते हैं, तो किसी अनुभवी पुरोहित से परामर्श लेकर विधिपूर्वक इसे संपन्न कर सकते हैं।
Course Content
भाग – 1 शुभारम्भ
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देवकर्म में विचारणीय तथ्य
10:56 -
अथ प्रायश्चित्त संकल्पः
18:03 -
अथ दशविधि स्नान
43:46 -
अथ संक्षिप्त नूतन यज्ञोपवीत धारण प्रयोगः
15:43